Amit Shah On Emergency: आपातकाल की पूर्व संध्या की 50वीं बरसी पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। अमित शाह ने कहा कि आपातकाल की पूर्व संध्या की 50वीं बरसी है। आज का दिन इस संगोष्ठी के लिए उचित दिन है। क्योंकि अच्छे या बुरे किसी भी प्रकार की राष्ट्रीय घटना के जब 50 साल पूरे होते हैं तो समाज जीवन के अंदर इसकी याददाश्त धुंधली हो जाती है और आपातकाल जैसी लोकतंत्र की नींव हिलाने वाली घटना, इसके बारे में याददाश्त यदि समाज जीवन में धुंधली होती है तो किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए बहुत बड़ा खतरा होता है।
अमित शाह ने कहा कि आज हम दुनिया के सबसे बड़ा लोकतंत्र बनकर सम्मान के साथ खड़े हैं। इस लड़ाई को जीतने का मूल कारण है कि हमारे देश की जनता तानाशाही को कभी स्वीकार नहीं कर सकती। भारत लोकतंत्र की जननी माना जाता है। शाह ने कहा कि हम सबको ये याद रखना चाहिए कि कितनी बड़ी लड़ाई उस वक्त, जो लोग जेल में रहकर अपने परिवार का सबकुछ नष्ट करके, कई लोगों के करियर समाप्त भी हो गए… लेकिन इस लड़ाई ने भारत के लोकतंत्र को जीवित रखा।
शाह ने कहा कि इसके बाद जब चुनाव हुआ तो आजादी के बाद पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी और मोरारजी देसाई जी प्रधानमंत्री बने। मुझे निश्चित रूप से मालूम है कि उस समय जितने भी नागरिक थे, किसी को ये आपातकाल पसंद नहीं आया होगा, सिवाय तानाशाह और उनसे फायदा उठाने वाली एक छोटी सी टोली के।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आप कल्पना कीजिए उस क्षण की (आपातकाल के दौरान), जिस क्षण में कल तक तो आप भारत के नागरिक थे, दूसरे दिन सुबह ही आप एक तानाशाह के गुलाम बनकर रह जाते हैं। कल तक आप एक पत्रकार थे, सच का आईना दिखाने वाले चौथे स्तंभ थे, दूसरे दिन आप असामाजिक तत्व बन जाते हो और देश विरोधी घोषित कर दिए जाते हो। आपने कोई नारा नहीं दिया, कोई जुलूस नहीं निकाला… फिर भी गलती सिर्फ इतनी है कि आपकी सोच आजाद थी। एक क्षण, वो सुबह कितनी क्रूरता के साथ भारत की जनता के ऊपर बीती होगी, इसकी कल्पना हम नहीं कर सकते। मेरा मानना है कि तर्क और तथ्य से ज्यादा प्रभावी होती है मनुष्य की संवेदना और कल्पना।
अमित शाह ने कहा कि आज बहुत सारे लोग संविधान की दुहाई देते हैं, मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि किस पार्टी से आते हो, किस अधिकार से संविधान की बात करते हो। सुबह सुबह ऑल इंडिया रेडियो से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी की आवाज आई कि राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की। जो लोग संविधान की दुहाई देते हैं, मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या इसके लिए संसद की सहमति ली गई थी?, क्या मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई गई थी? क्या देशवासियों को, विपक्ष को भरोसे में लिया गया था?
अमित शाह ने कहा कि आज संविधान की दुहाई देने वालों से मैं पूछना चाहता हूं-
- क्या आपातकाल के लिए संसद की सहमति ली गई थी?
- क्या मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई गई थी?
- क्या देशवासियों को, विपक्ष को, भरोसे में लिया गया था?
शाह ने कहा कि ये बात देश की जनता को कभी नहीं भूलनी चाहिए। विशेषकर इस देश के किशोर और युवाओं को ये बात नहीं भूलनी चाहिए। किसी को कोई मौका नहीं दिया गया और आने वाले समय में गुजरात और तमिलनाडु की गैर कांग्रेसी सरकारों को भी गिराने का काम किया गया।
बीजेपी के दिग्गज नेता ने कहा कि जय प्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह, अटल जी, आडवाणी जी, नानाजी देशमुख, फर्नांडिस जी, आचार्य कृपलानी जैसे वरिष्ठ नेता… ये सब जेल की काल कोठरियों में डाल दिए गए। लोकतंत्र की बात करने वाले लोगों से मैं पूछना चाहता हूं कि आप वही पार्टी और उसी पार्टी के जुड़े हुए लोग हो, जिन्होंने लोकतंत्र के रक्षक की भूमिका से लोकतंत्र के भक्षक का काम किया था।